* जब दवा का स्टॉक खत्म हो गया-तब लगाया वितरण पर प्रतिबंध
जैसलमेर- सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को निःशुल्क वितरित की जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर अक्सर सवालिया निशान लगते रहे हैं और यह आरोप भी लगते रहे हैं कि घटिया गुणवत्ता की दवाएं सप्लाई की जाती हैं। इन आरोपों को खारिज करते हुए सरकारी आला उच्चाधिकारी दावा करते रहे हैं कि मरीजों को निःशुल्क वितरित की जाने वाली दवाओं की खरीदी के बाद पहले उनकी गुणवत्ता की जांच करवायी जाती है फिर दवा को अस्पतालों में भिजवाया जाता है। अधिकारियों के इस दावे की पोल पिछले दिनों जैसलमेर जिले में तब खुली जब हृदय रोगियों द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली दवा एम्लोडीपिन 5 एमजी बैच नं. एटीटी 189 के वितरण पर रोक लगाने के आदेश मिले। कारण दवा गुणवत्ता जांच में अवमानक स्तरीय पायी गयी है। जानकारी के अनुसार मार्च माह में चिकित्सा विभाग ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों को निःशुल्क वितरण करने के लिए एम्लोडीपिन 5 एमजी की टेबलेट भिजवायी थी। अकेले जैसलमेर जिले में बैच नं. एटीटी 189 की एक लाख टेबलेट भिजवायी गयी। इस टेबलेट के सम्बन्ध में शिकायतें मिलने लगी कि इसे स्ट्रिप से निकालते ही यह चूरा बन जाती जिससे इसका सेवन करना कठिन हो जाता है। इस पर अक्टूबर माह में इसका सैम्पल लेकर जांच हेतू लैब भिजवाया गया। दिसम्बर माह में प्राप्त हुई जांच रिपोर्ट में बताया गया कि दवा अवमानक कोटि की है। इसके बाद कारपोरेशन द्वारा सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि बैच नं. एटीटी-189 की एम्लोडीपिन टेबलेट का वितरण रोक दिया जाए। मजेदार बात यह है कि जब तक जांच रिपोर्ट आयी और वितरण रोकने के आदेश दिए गए तब तक जैसलमेर में इस बैच नं. की भिजवायी गयी एक लाख टेबलेट वितरित की जा चुकी थी। मरीज इस टेबलेट का सेवन कर चुके थे। जानकारी के अनुसार जैसलमेर के औषधि भण्डार को मार्च माह में इस बैच नं. की एक लाख टेबलेट की सप्लाई दी गयी थी। यहां से जिले के सभी सरकारी अस्पतालों को इस दवा की सप्लाई दी गयी। इसमें भणियाणा स्वास्थ्य केन्द्र में 3 हजार, भारेवाला, भैंसड़ा, भीखोड़ाई, सांगड़ तथा सुल्ताना में एक-एक हजार, गफूर भट्टा में 1300, फतेहगढ में 2 हजार, देवा, झिनझिनयाली व रामगढ में 3-3 हजार, सिटी डिस्पेंसरी व चांधन में 5-5 हजार हजार, मोहनगढ़ में 7 हजार, नोख में 8 हजार, नाचना व पोकरण में 10-10 हजार, देवी कोट में 12 हजार, जवाहर अस्पताल में 20 हजार तथा खुहड़ी व चेलक में 5-5 सौ टेबलेट की सप्लाई दी गयी थी। अब दवा खत्म हो जाने से मरीज सुरक्षित हैं।